नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में “भारतीय ज्ञान परंपरा” पर अंतर-विभागीय क्विज प्रतियोगिता का हुआ सफल आयोजन, सफल विद्यार्थी हुए पुरुस्कृत

नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में “भारतीय ज्ञान परंपरा” पर अंतर-विभागीय क्विज प्रतियोगिता का हुआ सफल आयोजन, सफल विद्यार्थी हुए पुरुस्कृत

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नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा 14 जुलाई 2025 को विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह ब्लॉक सभागार में “भारतीय ज्ञान परंपरा (Indian Knowledge System – IKS)” विषय पर एक अंतर-विभागीय क्विज प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का शीर्षक था — “Quest for Wisdom: Rediscovering India’s Knowledge Heritage”, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन बौद्धिक परंपराओं को समझना और उन्हें समकालीन शिक्षा में पुनर्स्थापित करना था।

प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के सात विभिन्न विभागों — मानविकी, सामाजिक विज्ञान, साहित्य, सूचना प्रौद्योगिकी, कला, कृषि और प्राकृतिक विज्ञान — के छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।प्रारंभिक चरण के बाद, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अंग्रेज़ी और कृषि विभाग की टीमों ने फाइनल राउंड में प्रवेश किया। अंतिम चरण में तीन भाग शामिल थे: वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQ), ऑडियो-विजुअल राउंड, और रैपिड-फायर राउंड। ‘चाणक्य’ नामक टीम, जो अर्थशास्त्र विभाग का प्रतिनिधित्व कर रही थी, ने सभी राउंड में शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रतियोगिता जीत ली। टीम के सदस्य थे — अनिकेत महाराणा, महागौरी सिंह, आशना खान और अरुणिमा ओझा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रभात कुमार पाणि थे, जिन्होंने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए और सभा को संबोधित करते हुए भारतीय पारंपरिक ज्ञान की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस आयोजन के लिए राजनीति विज्ञान विभाग की सराहना की और ऐसे प्रयासों को विश्वविद्यालय के बौद्धिक विकास में सहायक बताया। राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष रंजन ने भी अपने वक्तव्य में भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया और छात्रों के उत्साह की सराहना की। इस सफल आयोजन को संपूर्ण रूप से संभव बनाने में विभागीय शिक्षकों, छात्र स्वयंसेवकों और समन्वयकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सभी फाइनलिस्ट प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए, जबकि विजेता टीम को ट्रॉफी एवं पुरस्कार दिए गए।

कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय सभ्यतागत धरोहर को पुनर्जीवित करने के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया गया।

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