आखिर क्यों रखा गया है इस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’?, जवाब आपको कर देगा इमोशनल…

आखिर क्यों रखा गया है इस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’?, जवाब आपको कर देगा इमोशनल…

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकवादी हमले में 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक की दर्दनाक हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया। लेकिन इस बार भारत ने चुप्पी नहीं साधी, बल्कि सीधा और सटीक जवाब दिया – पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में छिपे 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करके।

नाम में छिपा है दर्द और प्रतिकार – ‘सिंदूर’

इस ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ यूं ही नहीं रखा गया। दरअसल, जब आतंकी बैसरन में हमला करने पहुंचे, उन्होंने किसी महिला की जान तो नहीं ली, लेकिन उनका मकसद महिलाओं का सिंदूर मिटाना था – यानी उनके जीवन, उनके सम्मान और उनके अधिकार को रौंदना।

भारत ने इस चुनौती का जवाब उसी प्रतीक से दिया जिसे आतंकियों ने अपवित्र करने की कोशिश की थी – सिंदूर।

एक्शन सीमित, निशाना स्पष्ट: आतंक के खिलाफ युद्ध

भारतीय सेना ने इस अभियान को बेहद सटीक, सीमित और रणनीतिक तरीके से अंजाम दिया। पाकिस्तान की सैन्य चौकियों या आम नागरिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया। केवल आतंकियों के ठिकानों को मिसाइलों से निशाना बनाकर यह संदेश दिया गया – भारत अब हर शहादत का हिसाब रखेगा।

पूरी कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत

इस ऑपरेशन में कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ, और न ही कोई असैन्य ठिकाना प्रभावित हुआ। भारत ने अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत आतंक को लक्ष्य बनाया, न कि किसी राष्ट्र को। फिर भी पाकिस्तान में घबराहट साफ झलकी – कई आतंकी शिविर खाली कराए गए और सीमा पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया।

तीसरी बड़ी कार्रवाई: बदल चुका है भारत

2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक, और अब 2025 में ऑपरेशन सिंदूर – भारत की यह तीसरी बड़ी जवाबी कार्रवाई है, जो यह दिखाती है कि अब भारत केवल वार्ताओं पर नहीं, सीधी जवाबी कार्रवाई में यकीन रखता है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ मिशन नहीं, एक प्रतीक है

यह ऑपरेशन भारत की नारी शक्ति, सम्मान और अस्मिता की रक्षा का प्रतीक बन चुका है। यह स्पष्ट संदेश है – अब यदि कोई महिला के सिंदूर की ओर भी देखेगा, तो भारत उसका नामोनिशान मिटा देगा।

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