चांडिल: झारखण्ड के सत्ताधारी दल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं, इसकी शुरुआत कोल्हान के कद्दावर नेता एवं पूर्व सीएम चंपई सोरन से हुई। जो निरंतर जारी है, आए दिन बड़े-बड़े नेता झामुमो को अलविदा कर रहे हैं। इसके पीछे अलग अलग कारण बताया जा रहा है। इसी कड़ी में अब झामुमो के केंद्रीय सदस्य रूपेश वर्मा उर्फ पप्पू वर्मा ने झामुमो से अपना नाता तोड़ लिया। पप्पू वर्मा बीते 26 वर्षों से झामुमो से जुड़े हुए थे और पार्टी को मजबूती प्रदान कर रहें थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में ईचागढ़ से झामुमो विधायक सबिता महतो के जीत के पीछे पप्पू वर्मा का अहम योगदान था। श्री वर्मा ने मंगलवार को चांडिल में प्रेस वार्ता अयोजित कर पार्टी छोड़ने की पुष्टि की। बता दें कि 28 सितंबर को ही झामुमो केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन को त्याग पत्र भेज दिया था। पप्पू वर्मा प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए काफी भावुक होकर बीते 26 सालों की राजनीतिक यात्रा, स्व. सुधीर महतो के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध और अपने कार्यों का बखान किया। ईचागढ़ विधानसभा में एक कद्दावर ओबीसी नेता पप्पू वर्मा ने झामुमो छोड़ने के पीछे स्थानीय नेतृत्व द्वारा अपमानित किए जाने का आरोप लगाया है। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया और किस तरह का अपमान हुआ यह भी स्पष्ट नहीं किया। पप्पू वर्मा अगले 24 घंटे के भीतर यह तय करेंगे की उनका अगला राजनीतिक कदम क्या होगा। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ईचागढ़ झामुमो में भाई भतीजा बाद हावी होने के कारण झामुमो के प्राय सभी नेतागण एवं कार्यकर्ता स्थानीय नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। इस तरह एक के बाद एक बड़े नेताओं का झामुमो का दामन छोड़ कर जाने से यह माना जा रहा है कि ईचागढ़ विधानसभा के वर्तमान विधायक सबिता महतो को आगामी विधानसभा चुनाव में जीत के लिए काफी संघर्ष करना पड़ सकता है।
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