जमशेदपुर। टाटा स्टील के कर्मचारियों के वेज रिवीजन समझौते को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। 1 जनवरी 2025 से लागू होने वाले इस वेज रिवीजन के लिए टाटा वर्कर्स यूनियन ने प्रबंधन को चार्टर्ड ऑफ डिमांड सौंपा है, जिसमें 50 प्रतिशत एमजीबी (न्यूनतम सुनिश्चित राशि) की मांग की गई है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, इस बार 25 प्रतिशत तक एमजीबी मिलने की संभावना जताई जा रही है।
पहले वेज रिवीजन से तुलना
पिछले तीन वेज रिवीजन समझौतों की तुलना में इस बार कर्मचारियों को अधिक एमजीबी मिलने की उम्मीद है।
रघुनाथ पांडेय के कार्यकाल में बेसिक का 33 प्रतिशत एमजीबी तय हुआ था, जिसे बाद में संशोधित कर 22 प्रतिशत किया गया।पीएन सिंह के कार्यकाल में यह 18.25 प्रतिशत एमजीबी रही । आर रवि प्रसाद के कार्यकाल में 12.75 प्रतिशत एमजीबी निर्धारित की गई थी।
स्टील वेज और एनएस ग्रेड का वेतन अंतर घटा
यूनियन के सूत्रों का कहना है कि स्टील वेज और एनएस ग्रेड के बीच वेतन का अंतर पहले के 90:10 के अनुपात से घटकर वर्तमान में 50:50 पर आ गया है। यह अंतर समान हो जाने के कारण कंपनी पर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा। साथ ही बड़ी संख्या में स्टील वेज के कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने से भी आर्थिक दबाव घटने की संभावना है।
क्या है एमजीबी?
एमजीबी (न्यूनतम सुनिश्चित राशि) वेज रिवीजन का मुख्य घटक है। यह कर्मचारियों के अंतिम बेसिक या बेसिक और महंगाई भत्ता (डीए) के योग का एक निश्चित प्रतिशत होता है, जिसे प्रबंधन और यूनियन की सहमति से तय किया जाता है।
नए समझौते की उम्मीदें
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यूनियन को उम्मीद है कि इस बार का समझौता कर्मचारियों के लिए लाभकारी होगा। हालांकि, अंतिम निर्णय प्रबंधन और यूनियन के बीच होने वाली वार्ताओं के बाद ही सामने आएगा।
निष्कर्ष
टाटा स्टील के वेज रिवीजन पर चर्चा ने कर्मचारियों और यूनियन के बीच उत्सुकता बढ़ा दी है। 25 प्रतिशत तक एमजीबी की संभावना कर्मचारियों के लिए राहत की खबर हो सकती है, लेकिन यह देखना बाकी है कि प्रबंधन इस मांग पर कैसे प्रतिक्रिया करता है।