राष्ट्रीय राजधानी स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने झारखंड में तीन कोयला खदानों के आवंटन से जुड़ी अनियमितताओं के मामले में बुधवार को अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों को अलग-अलग अवधि की सजा सुनाई. विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने कंपनी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक मनोज कुमार जायसवाल को चार साल और तत्कालीन निदेशक रमेश कुमार जायसवाल को तीन साल कारावास की सजा सुनाई. झारखंड की बृंदा, सिसई और मेराल कोयला खदानों के आवंटन में अनियमितताओं से संबंधित मामले में नागपुर स्थित कंपनी पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. अदालत ने नौ दिसंबर को माना था कि कोयला खदानों के आवंटन के लिए भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय की सिफारिश हासिल करने के लिए दोषियों द्वारा जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था. न्यायाधीश ने धोखाधड़ी, आपराधिक षडयंत्र और जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल के अपराध को लेकर बुधवार को सजा सुनाई अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘मनोज कुमार जायसवाल को 471 (जाली दस्तावेजों का उपयोग करना), 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) के लिए चार-चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जाती है… ये सजाएं एक साथ चलेंगी. न्यायाधीश ने दोषी रमेश को भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 120-बी और 471 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई. न्यायाधीश ने मनोज पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, जबकि रमेश को 20 लाख रुपये का जुर्माना भरने को कहा.
सजा सुनाए जाने के बाद मनोज को जेल
सजा सुनाए जाने के बाद मनोज को जेल भेज दिया गया, जबकि रमेश को 60 दिनों की जमानत दी गई, ताकि वह दिल्ली उच्च न्यायालय में आदेश के खिलाफ अपील कर सके, क्योंकि उसकी जेल अवधि चार वर्ष से कम है. सीबीआई अदालत ने नौ दिसंबर को कहा कि जब मंत्रालय को जाली पत्र और दस्तावेज सौंपे गए थे, तब मनोज कंपनी के इससे जुड़े मामलों को देख रहे थे. सीबीआई ने 29 अक्टूबर 2020 को मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.