नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्ति में काम सहायता प्रदान करने हेतु निरंतर विश्वविद्यालय द्वारा रोजगार प्राप्ति सह प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में बीते दिनों विश्वविद्यालय के प्लेसमेंट ईकाई द्वारा आयोजित प्लेसमेंट ड्राइव में विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के सत्यम सिंह, नगमा बानो, निशा कुमारी, विशाल मंडल, मिताली लाओ, परमित भाटिया, रिया चव्हाण, एमबीए विभाग के टिविंकल और सूर्यदीप मजूमदार का चयन फाइनेंस कंसल्टेंसी के क्षेत्र से संबंधित कंपनी अर्नस् एंड यंग ग्लोबल लिमिटेड में एस्योरेंस कोर ऑडिटर के पद पर हुआ है। चयनित सभी विद्यार्थियों को औसतन 5 लाख के वार्षिक अनुबंध पर रोजगार के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। विद्यार्थियों को भारत के ही अलग-अलग स्थानों में नियुक्त किया गया है।
प्लेसमेंट के विषय में अधिक जानकारी देते हुए नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के प्लेसमेंट ईकाई के पदाधिकारियों ने बताया कि विश्वविद्यालय के सभी विभागों के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को देश-विदेश की विभिन्न प्रतिष्ठित कम्पनियों से रोजगार के प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं।
अर्नस् एंड यंग ग्लोबल लिमिटेड अंतर्राष्ट्रीय लेखा और पेशेवर परामर्श फर्मों में से एक है और इस क्षेत्र की चार प्रमुख कंपनियों में से एक है। आश्वासन, परामर्श और कर जैसी एकीकृत सेवा लाइनों के माध्यम से कंपनी जिम्मेदार विकास और जोखिम प्रबंधन का समर्थन करता है। ईवाई ग्लोबल डिलीवरी सर्विसेज (जीडीएस) प्रसिद्ध ब्रांडों के साथ रोमांचक परियोजनाओं पर सहयोग करते हुए कई वैश्विक स्थानों पर विविध कैरियर के अवसर प्रदान करती है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को ऐसी प्रतिष्ठित संस्थानों से रोजगार के प्रस्ताव प्राप्त होना यह हमारे लिए भी सम्मान का विषय है। हमारा लक्ष्य है कि हम अधिक से अधिक विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त करने की दिशा में उनका मार्गदर्शन कर सकें।
शिक्षा के साथ विद्यार्थियों का कौशल संवर्धन हमारा लक्ष्य: नागेंद्र सिंह
विद्यार्थियों की इस सफलता पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव नागेंद्र सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा से प्रतिबद्ध रहा है। हमारा प्रयास है कि हम न केवल विद्यार्थियों को उनकी व्यवहारिक शिक्षा प्राप्त करने में सहायक बनें बल्कि विद्यार्थियों के कौशल सवंर्धन के जरिये उन्हें इतना दक्ष बना सकें कि विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा के पश्चात विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त करने में अधिक कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। इसके लिए विद्यार्थियों को भी अपने स्तर से कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता है।