चामुंडा के एक रूप में जब उर्मिला सिंह के ऊपर सवार जाती है तो करती है रक्त पान

चामुंडा के एक रूप में जब उर्मिला सिंह के ऊपर सवार जाती है तो करती है रक्त पान

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चांडिल दुर्गाष्टमी व महानवमी के दिन मां चामुंडा का एक रूप जब ऊपर उर्मिला सिंह के सवार जाते तो देखा रक्त पान करते हुए, 8 वर्षो से मां दुर्गा चामुंडा रूपी की यह रूप देखने के लिए भक्त मंडली ।

एंकर: सरायकेला खरसावां जिला के चांडिल अनुमंडल स्खेत्र के सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति पुराना पेट्रोल पंप उगडीह स्टेशन बस्ती में विगत 8 बर्ष से मां दुर्गा का पूजा अर्चना चले आ रहे हे।इस मंदिर परिसर में मांगे के मन्नत सभी का पूर्ण होते है।
उगडीह गांव के निवासी उर्मिला सिंह पर मां चामुण्डा का रूप सवार हो जाते हे।अष्टमी-नवमी का महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अष्टमी और नवमी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को इस मंदिर परिसर एक बकरा का बली चढ़ावा दिया जाता उस दौरान उर्मिला सिंह के ऊपर सवार तभी होता हे जब
पंडित द्वारा मंत्र उच्चारण के दौरान बकरा बली दिया जाता हे।ओर उर्मिला सिंह मंदिर से दौड़ते हुए मिट्टी की प्याला में रखे गए खून को तत् प्रश्चात यह महिला चामुंडा रूपी धारण करके रक्त पान करते हे ।ओर नृत्य करते हे जिससे देखने के लिए सेकोडो की संख्या में भक्त श्रद्धालु का भीड़ लगा रहता ।नृत्य करते हुए मंदिर पहुंच जाते वही पुजारी द्वारा उसे पुष्पांजलि देकर शांत करते हे। यह रूप देखकर लोगो को मां के प्रति भक्ति और श्रद्धा और भी जाग जाते हे । कहा जाता हे की इस महिलाए स्टेशन बस्ती उगडीह गांव के कार्तिक सिंह की धर्म पत्नी हे। जिसके ऊपर 8 बर्ष पूर्व में मां दुर्गा की स्वप्न मिला था ओर मां उसे पूजा अर्चना करने को कहा गया । इस महिलाए को मां शारदीय विंदेश्वरी की आर्शीवाद प्राप्त हे।

जिसके कारण कच्चे रक्त को पान कर लेता है,इस मंदिर सभी भक्तो का मांगे गए मन्नत पूरा होता हे। मां शारदीय की पूजा अर्चना के प्रश्चात महिलाए आपने मांग पर एक दूसरे के साथ सिंदूर खेल किया गया ।महिलाए कहना यह परंपरागत से चले आ रहे हे।

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। वैसे तो प्रत्येक साल 4 नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रकट नवरात्रि आती है। प्रकट नवरात्रि एक आश्विन माह में आती है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है और एक प्रकट नवरात्रि चैत्र माह में आता है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है।

शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो लोग नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसे तो नवरात्रि के नौ दिनों का विशेष महत्व है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि का उससे भी ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि जो इस दिन पूजा और व्रत रखने से पूरे नवरात्रि का फल मिल जाते हैं। अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा।

अष्टमी-नवमी का महत्व । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अष्टमी और नवमी का महत्व सनातन धर्म में विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाष्टमी के दिन कन्या पूजन के साथ ही साथ माता दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। संधिकाल पूजा कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि के अष्टमी व नवमी तिथि के दिन पूजा करने से सारी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही साथ माता रानी का आशीर्वाद भी मिलता है। इस साल शारदीय नवरात्रि व्रत का पारण आप कन्या पूजन के बाद कर सकते हैं। हालांकि, नवरात्रि व्रत के पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय नवमी की समाप्ति के बाद माना जाता है, जब दशमी तिथि प्रचलित हो।

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