चांडिल: इन दिनों झामुमो नेता और कार्यकर्ताओं का पार्टी से इस्तीफा देने का शिलशिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला-खरसावां जिले से सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री सहित कई कद्दावर नेताओं ने पार्टी को अलविदा कहा। इस दरमियान ईचागढ़ विधानसभा में भी इन दिनों एक खबर तुल पकड़ रही है कि जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चाहे कोई राजनीतिक पार्टी का दफ्तर हो या कोई प्रतिष्ठान या फिर बाजार के चौक चौराहों पर स्थित चाय की टफरी व समोसे की दुकान हर जगह पर लोगों के जुबान पर ईचागढ़ के कद्दावर नेता सह झामुमो के केंद्रीय सदस्य पप्पू वर्मा चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिर ऐसी क्या बात हुई की सन 1998 में सूबे के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुधीर महतो के कार्यशैली से प्रभावित होकर झामुमो का दामन थामकर पार्टी में प्रखण्ड उपाध्यक्ष से अपनी राजनीतिक करियर प्रारम्भ करने वाला स्व. सुधीर महतो की धर्म पत्नी सबिता महतो ईचागढ़ की विधायक रहते हुए पार्टी से अपने आपको किनारा करने को सोच रहे हैं। क्षेत्र के लोग यह जानने और समझने का भरसक प्रयास कर रहे हैं की वर्तमान में झारखण्ड की सरकार सहित ईचागढ़ विधायक झामुमो का होने के बाउजुद आखिर ऐसी क्या परिस्थिति रही होगी की आज अपने आपको पार्टी से किनारा करने को लेकर विचार विमर्श कर रहे हैं है। बताया जाता है कि स्व. सुधीर महतो के निधन के बाद विपरीत समय में भी ईचागढ़ में अपने दृढ़ इच्छाशक्ति से पार्टी को बिखरने से बचाए रखा, वहीं स्व. सुधीर महतो के धर्मपत्नी वर्तमान विधायक सबिता महतो को ईचागढ़ से सदन तक भेजने में अहम भूमिका अदा किया। पार्टी के प्रती उनके समर्पण किसी परिचय का मोहताज नहीं है। लगातार तीन बार लगभग 10 वर्षों तक झामुमो केंद्रीय सदस्य के रूप में पार्टी को सेवा देकर क्षेत्र में पार्टी को नए आयाम तक पहुंचाया लेकिन आज ऐसी क्या परिस्थिति उत्पन्न हुई की वे अपने पाला बदलने पर सोच विचार कर रहे हैं।
वहीं उनके पाला बदलने की बात को तब और बल मिलने लगा जब पप्पू वर्मा के नाम से झामुमो सुप्रीमो को लिखा गया त्यागपत्र सोशल मीडिया पर सोमवार को दिन भर पूरा जोर शोर से वायरल होता रहा। हो न हो आने वाले दिनों में यदि पप्पू वर्मा झामुमो का दामन छोड़ भाजपा का दामन थामते हैं तो निश्चित तौर पर झामुमो को आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान उठानी पड़ सकती है, क्योंकि झामुमो से अब तक कई पुराने कार्यकर्ता अपने आपको किनारा कर चुके हैं उनमें से एक है स्वच्छ चांडिल स्वस्थ चांडिल के संस्थापक सह समाजसेवी सुखराम हेम्ब्रम जो अलग ही मूड में हैं। ऐसे में यदि ईचागढ़ विधानसभा से झामुमो केन्द्रीय सदस्य मे पप्पू वर्मा पार्टी को अलविदा कहते हैं तो जाहिर सी बात है ईचागढ़ में झामुमो एक बड़ा ओबीसी चेहरा खो देगा। ऐसे में सवाल नेतृत्वकर्ता के कार्यशैली पर सवाल खड़ा होना लाजमी है। यदि आने वाले दिनों में पार्टी का कोई बड़ा नेता झामुमो छोड़ दूसरे दल में जाते हैं तो निश्चित तौर पर ईचागढ़ के नेतृत्वकर्ता को लोगों के सवालों से गुजरना पड़ेगा। क्षेत्र की जनता ये कयास लगा रहे हैं की अगले दो से चार दिनों के भीतर झामुमो के कद्दावर नेता पप्पू वर्मा झामुमो छोड़ भाजपा में सामिल होंगे यह साफ संकेत मिलता दिख रहा है। क्योंकि श्री वर्मा ने अपने कार्यालय और गाड़ी से झामुमो का झंडा व बैनर दोनों उतार दिए हैं।