
दिल्ली की दुर्गा पूजा बहुत खास है. पश्चिम बंगाल की तरह आपको यहां भी सारे कार्यक्रम देखने के लिए मिल जाएंगे.: दिल्ली में इस वर्ष दुर्गा पूजा का उत्सव पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. पश्चिम बंगाल की संस्कृति और परंपराओं को जीवंत करते हुए, राजधानी के विभिन्न पंडालों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. सिंदूर खेला और धुनुची नृत्य जैसे कार्यक्रम इस महोत्सव की रात को और भी खास बना रहे हैं.
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
दिल्ली में पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा का अनुभव लेने के लिए लोग हर साल की तरह इस बार भी सजे-धजे पंडालों में आकर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. पंडालों की भव्य सजावट और देवी दुर्गा की अद्भुत मूर्तियों ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया है. इस बार, कई पंडालों में सिंदूर खेला का आयोजन भी किया गया, जहां विवाहित महिलाएं एक-दूसरे पर सिंदूर डालकर न केवल अपनी खुशियों को साझा करती हैं, बल्कि एक-दूसरे के साथ अपने रिश्तों को भी मजबूत करती हैं.
धुनुची नृत्य की धूम
सिंदूर खेला के बाद धुनुची नृत्य का आयोजन होता है, जो इस महोत्सव का एक अनिवार्य हिस्सा है. धुनुची एक खास प्रकार का धूपदान होता है, जिसमें विशेष औषधियों और अगरबत्ती का उपयोग किया जाता है. भक्त इस धुनुची को लेकर देवी के सामने नृत्य करते हैं, जिससे महोत्सव में धार्मिकता के साथ सांस्कृतिक रंग भी भरे जाते हैं. दिल्ली के विभिन्न पंडालों में धुनुची नृत्य का आयोजन देखने लायक होता है, जहां भक्त पूरे उत्साह के साथ नृत्य करते हैं.सामाजिक एकता का प्रतीक
इस वर्ष दुर्गा पूजा केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन गया है. विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ मिलकर इस पर्व का आनंद ले रहे हैं. सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नृत्य, संगीत और नाटकों का आयोजन किया जा रहा है, जो सभी के लिए एक अद्भुत अनुभव प्रदान कर रहा है.
कहां लग रहे हैं पंडाल
दिल्ली में इस बार भी विभिन्न थीम पर सजे पंडाल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. सीआर पार्क के बी-ब्लॉक में काशी विश्वनाथ मंदिर की थीम पर पंडाल बनाया गया है, जबकि डीडीयू मार्ग पर विक्टोरिया मेमोरियल की झलक दिखाई देगी. सीआर पार्क, आरके आश्रम, मंदिर मार्ग, दिलशाद गार्डन, कश्मीरी गेट, मिंटो रोड और मयूर विहार समेत कई जगहों पर दुर्गा मां की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही हैं. आराम बाग पूजा समिति द्वारा सजाए गए पंडालों में दुर्गा मां के हाथों में युद्ध के हथियारों की बजाय फूल दिखाई देंगे.