दुर्गा पूजा के दौरान कब खेला जाता है सिंदूर खेला और क्या है इसका इतिहास व महत्व

दुर्गा पूजा के दौरान कब खेला जाता है सिंदूर खेला और क्या है इसका इतिहास व महत्व

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सिन्दूर खेला दुर्गा पूजा की एक बहुत ही पुरानी परंपरा है। जिसमें महिलाएं एक-दूसरे को सिन्दूर लगाती हैं और मिठाई खिलाती हैं। मां की विदाई के खुशी में सिंदूर खेला मनाया जाता है। महाआरती के बाद विवाहित महिलाएं देवी के माथे और पैरों पर सिंदूर लगाती हैं फिर एक-दूसरे को सिंदूर लगाने की परंपरा है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।शारदीय नवरात्रि अलग ही धूम हमारे देश में देखने को मिलती है। सिर्फ उत्तर ही नहीं दक्षिण भारत में भी नवरात्रि पर्व की रौनक देखी जा सकती है। ऐसा माना जाता है नवरात्रि में मां स्वर्ग से धरती पर आती हैं। नवरात्रि का यह पर्व 11 अक्टूबर को समाप्त होगा और 12 अक्टूबर को दशहरा है परन्तु जमशेदपुर में दशहरा 13 अक्टूबर कोमनाया जाएगा। नवरात्रि का उत्सव रंग ढंग से मनाने की परंपरा है।

बहुत ही खास होती है पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा
नवरात्रि का जैसा नजारा पश्चिम बंगाल में देखने को मिलता है, वैसा शायद ही और कहीं। यहां बिल्कुल पारंपरिक तरीके से पंडाल सजाए जाते हैं और उनमें मां दुर्गा की पूजा, आरती और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान होने वाली संध्या आरती इतनी भव्य होती है कि इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। ढोल-नगाड़ों, शंख, नाच-गाने के साथ सम्पन्न होती है संध्या आरती। यहां होने वाली दुुर्गा पूजा में एक और जो सबसे खास परंपरा है, जो है सिंदूर खेला।

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