दशहरे पर यहां नहीं जलाया जाता रावण बल्कि होती है पूजा, दशानन को लेकर अलग है मान्यता

दशहरे पर यहां नहीं जलाया जाता रावण बल्कि होती है पूजा, दशानन को लेकर अलग है मान्यता

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Ravana Temple: दशहरा के दिन भारत के हर कोने में खुशी का माहौल होता है। हालांकि, कुछ जगह ऐसी है जहां रावण के पुतले को नहीं जलाया जाता, बल्कि उनकी पूजा की जाती है। जानिए इसके बारे में।

दशहरा भारत के बड़े त्योहारों में से एक है। ये त्योहार असत्य पर सत्य की विजय के रूप में देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन रावण के पुतले बना कर जलाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ जगह ऐसी भी हैं जहां पर रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि पूजा की जाती है। माना जाता है कि रावण एक महान राजा के साथ ही योद्धा और शिव भक्त भी थे। आइए, जानते हैं भारत की कुछ जगहों के बारे में जहां पर रावण की पूजा की जाती है।

1) मंदसौर, मध्य प्रदेश
मंदसौर एक शहर है जो मध्य प्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर पर है। यह वह जगह है जहां रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म हुआ था। कहते हैं कि रावण मंदोदरी से शादी करने के लिए इस जगह पर आया था। यहां पर एक ऐसा मंदिर है जहां रावण की एक विशाल मूर्ति है। प्राचीन शहर मंदसौर दशपुर के नाम से जाना जाता था।

2) कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
कहते है कि रावण ने भगवान शिव को खुश करने और उनसे आत्म लिंग प्राप्त करने के लिए इस जगह पर घोर तपस्या की थी। भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूरी की। मान्यता है कि रावण को मिला ये लिंग कर्नाटक के गोकर्ण में स्थापित है। ऐसे में कांगड़ा के लोग रावण को भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त मानते हैं और मानते हैं कि भगवान ने उसे उसकी भक्ति के लिए आशीर्वाद दिया था।

3) जोधपुर, राजस्थान
राजस्थान का जोधपुर एक ऐसा शहर है जिसका रावण से ऐतिहासिक संबंध है। कहते हैं कि रावण मंदोदरी के साथ उसके पिता के राज्य की राजधानी मंडोर में विवाह बंधन में बंधा था। यही वजह है कि यहां के लोग रावण को वही सम्मान देते हैं जो भारतीय अपने दामाद को देते हैं। दशहरे पर यहां उनका पुतला जलाने के बजाय लोग उनकी मृत्यु पर शोक मनाते हैं।

4) बिसरख, उत्तर प्रदेश
बिसरख उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के पास एक गांव है। माना जाता है कि यह रावण का जन्मस्थान है। बिसरख के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और उसकी बुद्धि और भक्ति के लिए उसकी प्रशंसा करते हैं। यहां मौजूद रावण का मंदिर साल के अधिकांश समय बंद रहता है और दशहरे पर खुलता है।

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