बानेश्वर महतो/चांडिल: नीमडीह प्रखंड अंतर्गत झिमड़ी के सोनाडूंगरी में रावण दहन कार्यक्रम के दौरान आयोजित झूमर सांस्कृतिक कार्यक्रम में झारखंड के प्रसिद्ध झूमर सम्राट रंजीत महतो एंड ग्रुप के द्वारा जमकर दर्शकों का मनोरंजन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो ने फीता काट कर किया। दर्शकों के जनसैलाब को संबोधित करते हुए हरेलाल महतो ने कहा कि जब जब विश्व के सृष्टि पर अधर्म का काला बादल मंडराने लगा उस समय भगवान श्री राम जैसे महान अवतार ने जन्म लेकर अधर्म का नाश किया है। उन्होंने कहा कि रावण दहन असुरत्व पर दैवत्व के जीत का प्रतीक है। रावण महापंडित होने के बाद भी असुरकुल में जन्म लेकर असुर के आचरण में समाहित हो गया था। रावण अनेक प्रकार से ऋषि मुनियों को प्रताड़ित किया करते थे और अंत में जननी सीता हरण कर अपने मृत्यु को आने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि रावण के अंत से धर्म की स्थापना हुई, धरती पर अधर्मियों के शक्तियों का समापन हुआ। ऋषियों मुनियों के प्राणों की रक्षा हुई जिसके कारण तेजस्वी ऋषियों, मुनियों के विश्व कल्याण रक्षा हेतु पूजा अर्चना और मंगलमय वातावरण बना। प्राणियों के अंदर सद्भावनाएँ पैदा हो ऐसी करुणा दया की स्थापना हुई और विश्व का कल्याण हुआ। एक ऐसा वातावरण का निर्माण किया गया था जो समस्त प्राणियों और जनमानस के लिऐ अत्यंत हितकारी था और रावण के मृत्यु के बाद भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने धरती पर मनुष्यों के लिए और माता सीता ने स्त्रियों को मर्यादा में रहने का आदर्श दिखाया। हरेलाल महतो ने कहा कि आज हमें भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम व जननी सीता के आदर्श को आत्मसात कर मानव कल्याण के लिए कार्य करना होगा।
रावण दहन कार्यक्रम के पूर्व आयोजित सांस्कृतिक अनुष्ठान में लोकप्रिय झूमर सम्राट रंजीत महतो, ए जे लिपीन सुनीता राणा,सुरेश कुमार,जुनून रसकिया ग्रुप ( गोपीपुर मनोहरपुर,झारखंड) के के द्वारा गाना एवं नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मोहित किया। शाम ढलते ही मुख्य अतिथि हरेलाल महतो के हाथों से तीर चलाकर दुष्टरुपी रावण की पुतला दहन किया गया। रावन दहन में जमकर आतिशबाजी की गई। भीड़ नियंत्रित करने के लिए नीमडीह थाना प्रभारी सनतन कुमार तिवारी पुलिस बल के साथ तैनात थे। इस मौके पर आयोजन समिति के यंग बॉयज क्लब के अध्यक्ष गणेश महतो, पदमोलोचन महतो, दिगंबर सिंह, दुर्योधन गोप, दिनेश महतो, परसुराम गोराई, दिनेश महतो, शालावत महतो, शक्तिपद महतो, भरत महतो, सिदाम मछुआ, सुशील मछुआ, भगत सिंह, सतीश मूदि, चंदन महतो, आदित्य महतो, संतोष महतो आदि मौजूद थे।