आज संध्या 5 बजे झारखंड सवर्ण सेना के द्वारा सवर्ण समाज की एक बैठक किया गया। जिसमें काफी संख्या में ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार एवं कायस्थ समाज के लोग उपस्थित हुए और अपने विचारों को रखा। समाज के प्रबुद्ध जनों से प्राप्त सुझावों के आधार पर ही सवर्ण सेना आगे की रणनीति एवं आन्दोलन की रूपरेखा तैयार करेगी। अपने संबोधन सेना के अध्यक्ष ने कहा कि में कहा कि आज भारत को आजाद हुए 78 वर्ष हो गए हैं इन 78 वर्षों में देश की आजादी में सबसे अधिक योगदान देने वाले और साथ ही साथ देश पर हुए सभी धार्मिक एवं बरबर हमलों से देश की रक्षा करने वाले,हमेशा राष्ट्र सर्वोपरि की भावना रखने वाले,सवर्ण समाज को आज तक कुछ नहीं मिला है।भारत की स्वतंत्रता संग्राम में हो, चाहे मुगल आक्रांताओं से,हर समय देश के दुश्मनों से लड़ने की बात आती है तो हमारे समाज का नाम सर्वोपरि आता है।हमने कभी भी अपनी जाति को महत्व नहीं दिया हमने हमेशा से अपने देश और धर्म को पहले रखा है। यहां तक कि हमारे पूर्वजों ने देश और धर्म की रक्षा करने के लिए अपने परिवार तक की परवाह नहीं की और हंसते-हंसते देश के नाम पर कुर्बान होते रहे।आज भारत यह पूछता है कि उस कुर्बानी का,उस त्याग का क्या वाजिब अधिकार हक हमारे समाज को मिला है??क्या ब्राह्मण,राजपूत, भूमिहार एवं कायस्थ समाज को भारत देश में उचित मान सम्मान मिला है जिसके वे हकदार हैं???आज देश के आजादी के इतने साल बाद भी हम भारत देश में दोयम दर्जे के नागरिक बने हुए हैं। हर प्रकार की सुविधाओं में हमें सबसे पीछे रखा जाता है। त्याग एवं बलिदान का सिला आज भारत वर्ष में हमें शोषक,अत्याचारी,दुराचारी और पता ने क्या-क्या उपमा देकर के दिया गया है।कभी आरक्षण के नाम पर कभी एससी एसटी एक्ट के नाम पर हमारे समाज को रौंदा जा रहा है। लेकिन हमारे समाज के नेता हमारी बात तक नहीं करते।हमारे समाज से आने वाले नेता हमेशा दलित,पिछड़ा अल्पसंख्यक इत्यादि की ही बात करते हैं। राजनीतिक दल कभी सवर्ण समाज के वोट से केवल मतलब है।हमारे दुख, हमारे पीड़ा को जानकर भी अंजान कर दिया जाता है।आज हालत यह है कि भारत देश में हमारे समाज के युवा को किसी भी स्तर पर सफलता प्राप्त करने के लिए एड़ी चोटी का जोड़ लगाना पड़ता है।सब कुछ दांव पर लगाना पड़ता है।सभी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में, प्रतिस्पर्धा में अत्यधिक श्रम करना पड़ता है,उसके बाद भी कभी डोमिसाइल के नाम पर,कभी क्षेत्रीय भाषा के नाम पर हमें हमारे हक से वंचित कर दिया जाता है।
आरक्षण का आधार आर्थिक रूप से होना चाहिए ना कि जाति के आधार पर। आरक्षित वर्ग में जो संपन्न हो चुके हैं उन्हें आरक्षण के दायरे से बाहर किया जाए।
हमारा संगठन किसी जाति का विरोधी नहीं है।
सामाजिक न्याय जितना होना था हो गया है अब भारत में आवश्यकता आर्थिक न्याय की है।
इस बैठक में झारखंड सवर्ण सेना के अभिषेक पांडे, हर्ष सिंह सौरव पाठक वेद प्रकाश तिवारी बिट्टू तिवारी प्रभात सिंह प्रताप सिंह ओम प्रकाश झा जी दीपक सिंह दीपक सिंह सुजल सिंह प्रेम कुमार झा अभय आदित्य हनी अभिषेक सिंह जगन्नाथ योगेश पांडे अजय शुक्ला सुमित पांडे आर्यन निखिल करण सिंह अनुज उत्कर्ष हां ठीक है अनुभव विष्णु ओझा अमर एवं काफी संख्या में झारखंड सवर्ण सेना के सदस्य उपस्थित थे इस बैठक का संचालन सौरभ पाठक ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन हर्ष सिंह ने दिया।
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