
दिल्ली हाइकोर्ट ने आज मानवीय आधार पर एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए 19 वर्षीय युवक और उसकी नाबालिग पत्नी के बीच प्रेम सम्बंध को लेकर लड़के पर दर्ज पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज आपराधिक मामले पर कार्यवाही को बंद करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने कहा कि विशेष परिस्थितियों में ऐसे मामलों को खारिज किया जा सकता है क्योंकि इससे पती पत्नी और नवजात शिशु तीनो की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। कोर्ट का कहना था कि युवक युवती ने अपनी मर्जी से शादी की थी। और जब युवती गर्भावस्था के अंतिम चरण में अस्पताल में भर्ती होने गई तो डॉक्टर ने नाबालिग होने के कारण इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस द्वारा पोस्को एक्ट के तहत दोनो पति पत्नी को सितम्बर में गिरफ्तार किया गया। लेकिन याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि दोनों युवक युवती पड़ोसी थे और बचपन से एकदूसरे से जानते थे और उन्होंने सादी भी अपनी इच्छा से की और चूंकि अब इनकी जिंदगी में एक नवजात भी आ चुका है इसलिए मानवता के आधार पर इन्हें बरी कर देना चाहिए जिसके बाद कोर्ट ने पति पत्नी पर से पोक्सो एक्ट हटाने का आदेश दिया।